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सुनो, तुम अकेले नहीं हो
सुनो, तुम अकेले नहीं हो
मैं यहाँ हूँ, पास तुम्हारे
देखो, साथ बैठी हूँ
मुड़ो ज़रा, पीछे ही खड़ी हूँ
नंबर मिलाओ, बस एक "हैलो" दूर हूँ
कुछ भी बोलो, मैं सुन रही हूँ
सुनो, तुम अकेले नहीं हो।
पिछली बार शायद समझ न पायी
तुमने हाथ बढ़ाया, मैं ही पकड़ न पायी
शायद तुमने पुकारा भी, पर मैं सुन न पायी
अपनी जाने किस व्यस्तता में, तुम तक पहुँच न पायी
सुनो, पिछली बार के मेरे 'न रहने' पर
तुम मुझसे नाराज़ न होना
दिल खोल कर बोल देना, रोना है तो रो लेना ।
मगर किसी काम या मुक़ाम के न होने पर,
ख़ुद से बिलकुल निराश न होना
सुनो, तुम अकेले नहीं हो।
इस बार, अगली बार, हर बार -
मैं यहाँ हूँ, पास तुम्हारे
देखो, साथ बैठी हूँ
मुड़ो ज़रा, पीछे ही खड़ी हूँ
सुनो, तुम अकेले नहीं हो।
आँचल
जून, २०२०
बॉम्बे