- Admin
यादों का गुच्छा
एक क़िस्सा होता तो बता देती
एक कहानी होती तो सुना देती
मैं - मैं नहीं हूँ, अपनी यादों का बस एक गुच्छा हूँ
हर दिन मैं इस गुच्छे में से एक फूल चुनती हूँ
अपने हर आज में मैं थोड़ा सा कल जीती हूँ
आँचल
जुलाई, २०२०
बॉम्बे
0 views0 comments